Uttrakhand News: आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट उत्तराखंड में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को त्रिस्तरीय पंचायतों में आरक्षण दिए जाने को लेकर दी है। सरकार जल्द ही इस रिपोर्ट पर निर्णय ले सकती है।
Uttrakhand News: उत्तराखंड में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को त्रिस्तरीय पंचायतों में आरक्षण देने की प्रक्रिया अब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। गुरुवार को, राज्य सरकार द्वारा गठित एकल सदस्यीय समर्पित आयोग के अध्यक्ष बीएस वर्मा ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दी। इस रिपोर्ट में 2011 की जनगणना के आधार पर पंचायतों में ओबीसी जनसंख्या का अनुपात बताया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, ओबीसी जनसंख्या वाले ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों में आरक्षण का प्रतिशत अधिक होगा। वहीं, ओबीसी लोगों की संख्या कम होगी, इसलिए उनके लिए आरक्षित सीटें भी कम होंगी। राज्य में 7499 ग्राम पंचायतों, 358 जिला पंचायत वार्डों, 89 क्षेत्र पंचायत प्रमुख पदों और 2974 क्षेत्र पंचायत वार्डों में ओबीसी आरक्षण की सिफारिश की गई है।
रिपोर्ट सौंपने के दौरान मंत्री भी उपस्थित रहे
यह आयोग की तीसरी रिपोर्ट है। 14 अगस्त 2022 को आयोग ने पहली रिपोर्ट हरिद्वार में दी थी। इस बार की रिपोर्ट में शेष 12 जिलों में ग्राम पंचायतों को क्या आरक्षण मिलेगा। आयोग की इस रिपोर्ट को सरकार से मंजूरी मिलने के बाद ओबीसी जनता को आरक्षण दिया जाएगा।
रिपोर्ट सौंपने के दौरान कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, गणेश जोशी, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, विधायक खजानदास, सविता कपूर, बृजभूषण गैरोला, सचिव पंचायतीराज चन्द्रेश यादव, निदेशक पंचायतीराज निधि यादव, अपर सचिव पंचायतीराज पन्ना लाल शुक्ला, सदस्य सचिव डीएस राणा और उप निदेशक मनोज कुमार तिवारी उपस्थित थे।
रिपोर्ट स्वीकार होने पर ओबीसी समाज को लाभ मिलेगा
आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को दी है, लेकिन राज्य सरकार को इसे लागू करने का अंतिम फैसला लेना है। यदि सरकार इस रिपोर्ट को स्वीकार करती है, तो ओबीसी समुदाय को आगामी पंचायत चुनावों में निर्धारित सीटें मिलेंगी। रिपोर्ट में ओबीसी आरक्षण की गणना 2011 की जनगणना से की गई है। 2021 की जनगणना अभी तक पूरी नहीं हुई है, इसलिए आयोग को मूल आंकड़ों पर ही निर्णय लेना पड़ा।
हरिद्वार जिले को छोड़कर राज्य के बाकी 12 जिलों में ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 27 नवंबर 2024 को समाप्त हो गया। 29 नवंबर को क्षेत्र पंचायतों और 1 दिसंबर को जिला पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हुआ। इन पंचायत चुनावों का आयोजन 2019 में हुआ था। 2022 में हुए पंचायत चुनावों के कारण हरिद्वार जिले की पंचायतें अभी भी कार्यरत हैं। वर्तमान में इसका नियंत्रण पंचायत प्रशासनिक अधिकारियों के पास है।
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