Vastu Tips: घर में मंदिर बनाने का वास्तु क्या होना चाहिए? जानें नियम

Vastu Tips: वास्तुशास्त्र कहता है कि घर में पूजाघर बनाने के लिए कुछ वास्तुनियमों का खास ध्यान रखना चाहिए। शास्त्रों के नियमों के अनुसार मंदिर का वास्तु होने से जीवन में सुख रहता है।

Vastu Tips: हिंदू धर्म के वास्तुशास्त्रों के अनुसार ही घर बनाया जाता है। खुशहाल जीवन जीने के लिए कुछ चीजों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि घर का वास्तु ठीक होने पर जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और पारिवारिक जीवन में खुशी का माहौल बनाता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार, घर में पूजा करने के लिए वास्तु नियमों का पालन करना चाहिए। यह घर में पॉजिटिव एनर्जी लाता है। गृह निर्माण विवेचन, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के असिस्टेन्ट प्रोफेसर और समन्वयक डॉ. नन्दन कुमार तिवारी द्वारा लिखी गई किताब में मंदिरों से जुड़े वास्तु नियमों पर चर्चा की गई है। आइए जानें पूजाघर के वास्तु टिप्स..।

मंदिर का वास्तु कैसा होना चाहिए?

  1. वास्तुशास्त्र कहता है कि घर में मंदिर को ईशान कोण में बनाना चाहिए।
  2. वास्तु में भगवान शिव को ईशान कोण का स्वामी माना जाता है, जो ज्ञान और विद्या को प्रदान करता है।
  3. घर के आंगम में त्योहारों और विशेष अवसरों की सामूहिक पूजा, हवन और मांगलिक कार्यों का आयोजन किया जाता है।
  4. ज्योतिषियों का मानना है कि आंगन में ब्रह्मा जी का स्थान है, जिनके मुख से चारों वेदों का उपदेश हुआ है।
  5. यदि आप नियमित रूप से पूजा करना चाहते हैं तो आपको ईशान कोण में एक पूजाघर बनाना चाहिए। यह वास्तु में सबसे शुद्ध और पवित्र दिशा है।
  6. वास्तु के अनुसार, पूजा घर में देवी-देवताओं की मूर्ति या प्रतिमा को पूर्व या उत्तर दीवार के पास रखना चाहिए।
  7. देवी-देवता की प्रतिमा को सिंहासन या लकड़ी की चौकी पर रखना उचित माना जाता है।
  8. वास्तुशास्त्र के अनुसार, मंदिर के पूर्व या उत्तरी क्षेत्र में देवताओं की मूर्ति या प्रतिमा का मुख उत्तर की ओर नहीं होना चाहिए. ऐसा करने से पूजा करने वाले का मुख दक्षिण की ओर होगा।
  9. दक्षिण दिशा में मुख करके पूजा करना वास्तु में अशुभ है।
  10. इसके अलावा, दक्षिण में मंदिर नहीं बनाना चाहिए।
  11. ऊपर-नीचे या पूजाघर के आसपास भी टॉयलेट और बाथरूम नहीं बनाना चाहिए।
  12. वास्तुशास्त्र के अनुसार, घर के मंदिर में दीपक और हवन कुण्ड को आग्नेय कोण में रखा जाना चाहिए।
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